पटना
बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद बीते 9 सालों के भीतर जहरीली शराब से 190 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। यह आंकड़ा राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है। सारण, सीवान, गया, भोजपुर, बक्सर और गोपालगंज जिले में सबसे ज्यादा जहरीली शराब पीने से लोगों की जानें गई हैं। हालांकि, यह सरकारी आंकड़ा है। बीते 9 सालों में विभिन्न जिलों में जहरीली शराबकांड की वजह से सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है।
नीतीश सरकार ने अप्रैल 2016 में बिहार में शराब के निर्माण, व्यापार, भंडारण, परिवहन, बिक्री और सेवन पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, राज्य में शराब तस्करों के खिलाफ चल रहे अभियान के बावजूद दारू की तस्करी बेरोकटोक जारी है।
मद्य निषेध, उत्पाद शुल्क और पंजीकरण विभाग के सचिव विनोद सिंह गुंजियाल ने कहा कि 2016 से अब तक विभिन्न जिलों में लगभग 190 की मौतों की पुष्टि हुई हैं। विभाग द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि 31 मार्च 2025 तक, शराबबंदी कानून के तहत कुल 9.36 लाख मामले दर्ज किए गए। इनमें से अब तक कुल 14.32 लाख लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
संबंधित अधिकारियों ने अब तक 3.86 करोड़ लीटर शराब जब्त की है, जिसमें देशी दारू भी शामिल है। 31 मार्च 2025 तक, विभाग ने जब्त की गई 97 प्रतिशत शराब नष्ट कर दी, जो लगभग 3.77 करोड़ लीटर है।
शराब केस में जब्त वाहनों से सरकार की चांदी
मद्य निषेध विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार बिहार के विभिन्न हिस्सों में शराब के परिवहन में इस्तेमाल किए गए 1.40 लाख वाहनों को भी जब्त किया गया है। इनमें से 74,725 वाहनों की नीलामी की जा चुकी है। इससे सरकार को 340.55 करोड़ रुपये की आय हुई है। विभाग और पुलिस अधिकारी राज्य के कुछ जिलों में शराबबंदी कानूनों का उल्लंघन करने वालों को पकड़ने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।
इसके अलावा, विभाग शराबबंदी कानूनों के उल्लंघन से संबंधित अपराधों में शामिल लोगों को पकड़ने के लिए 33 खोजी कुत्तों की सहायता भी ले रहा है।