ब्राज़ील के पद्म जोनास मसेट्टी आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास द्वारा आयोजित प्रेरणा संवाद में हुए शामिल
वेदांत केवल भारत के लिए नहीं बल्कि समस्त मानवता के लिए : पद्म आचार्य जोनास मसेट्टी
भारतीय संस्कृति जीवंत संस्कृति है : जोनास मसेट्टी
अद्वैत के ज्ञान से ही भविष्य की दिशा बदली जा सकती है : स्वामी शुद्धिदानंद
अद्वैत दर्शन मानवता के कल्याण का दर्शन है : स्वामी शुद्धिदानंद
आईआईटी इंदौर में ‘भावी विश्व का दर्शन ’ विषय पर हुआ संवाद
ब्राजील के जोनास ने जैसे ही. ..
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि… गाया तो तालियों से गूँज उठा सभागार
भोपाल
आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन द्वारा उपनिषदों में निहित अद्वैत सिद्धांत को जन-जन तक पहुँचाने के लिये शंकर व्याख्यानमाला, एकात्म संवाद एवं प्रेरणा संवाद जैसे विविध प्रेरक कार्यक्रमों का नियमित आयोजन किया जाता है। इसी श्रृंखला में बुधवार को भारतीय प्रोधौगिकी संस्थान (IIT) इंदौर में प्रेरणा संवाद हुआ। इसमें ‘भावी विश्व का दर्शन’ विषय पर ब्राज़ील के पद्म आचार्य जोनास मसेट्टी और स्वामी शुद्धिदानंद (अध्यक्ष, अद्वैत आश्रम मायावती) ने संवाद किया। कार्यक्रम में वैज्ञानिक, प्रोफेसर, शोधार्थी एवं बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित रहे।
वेदांत और संस्कृति के माध्यम से विश्व को पुनः जोड़ना आवश्यक : जोनास
आचार्य जोनास ने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज की दुनिया में, विशेषकर पाश्चात्य समाज में, लोग धन और सुख की खोज में लगे हैं, पर आत्मिक मूल्य भूल गए हैं। हमारा उद्देश्य वेदांत के ज्ञान को पुनर्जीवित करना और उसे धर्म नहीं, बल्कि मानवता का सार्वभौमिक दर्शन बनाकर प्रस्तुत करना है, जो एक बेहतर व्यक्ति और एक बेहतर समाज का निर्माण करे। भारत अपने उत्सवों, कहानियों, संगीत और कला के माध्यम से संस्कार और अध्यात्म को जन-जन तक पहुँचा सकता है। कल्पना कीजिए, अगर बच्चे उपदेशों से नहीं, बल्कि एनिमेटेड कथाओं और नैतिक कहानियों से मूल्य सीखें, तो यह शिक्षा हृदय में बस जाएगी। वेदांत अलगाव नहीं, एकत्व का दर्शन है। कोई भी अन्य परंपरा इतनी स्पष्टता से यह नहीं कहती कि 'मानवता एक है', जैसा हमारे उपनिषद कहते हैं: “मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव।” यह भारत की आत्मा है, और यह केवल भारत के लिए नहीं ,समस्त मानवता के लिए है। हमें विश्व की सभी संस्कृतियों को इस दृष्टि से जोड़ना है। भारतीय संस्कृति एक जीवंत संस्कृति है। यह ज्ञान (साधना), करुणा और समझ की संस्कृति है।
अद्वैत का विचार मानवता के लिए सौगात : स्वामी शुद्धिदानंद
स्वामी शुद्धिदानंद ने कहा कि अद्वैत का विचार मानवता के लिए सौगात है। 1200 साल पहले जब लोग स्वार्थ की आंधी में लिप्त हो गए थे और मानव मानवता से विमुख हो गया था उस समय आचार्य शंकर का जन्म होता है और उन्होंने संस्कृति में पहले से मौजूद एकात्म के दर्शन से इस समस्या का समाधान किया। पिछले 200 वर्षों में मानवता विभिन्न विचारधाराओं के साथ प्रयोग कर रही है। उन सभी विचारधाराओं के केंद्र में अर्थ का अर्जन है, और जिन देशों में विचार का केंद्र है, वहां पर मनोवैज्ञानिक समस्या सर्वाधिक है। इस विश्वव्यापी समस्या के समाधान के रूप में भारत का अद्वैत दर्शन सामने आता है।
एकात्म धाम प्रकल्प प्रेरक है
संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए कोई दर्शन यदि खोजा जाए तो वो अद्वैत दर्शन है। वर्तमान का हिंदू धर्म प्राचीन काल का वैदिक धर्म है। वेद मनुष्य के बाहरी और आंतरिक कल्याण का उपदेश देते है। वेद का संदेश है कि हर आत्म में दिव्यता है और इस दिव्यता का अनुभव करके शक्ति, स्वतंत्रता और निर्भयता को मनुष्य ग्रहण कर सकता है। आत्म संयम के अभ्यास से हम मनुष्य में मौजूद दिव्यता का अनुभव कर सकते है। स्वामी विवेकानंद ने इस दर्शन को विश्व पटल पर प्रस्तुत किया।
मध्यप्रदेश शासन के एकात्म धाम प्रकल्प से अन्य प्रदेश सरकारों को प्रेरणा लेनी चाहिए। हमें अपने स्वरूप का ज्ञान पाकर विश्व के कल्याण की कामना करनी चाहिए।इस अद्वैत के ज्ञान से ही भविष्य की दिशा बदली जा सकती है और मानवता के उद्धार के लिए कदम बढ़ाए जा सकते है
सुप्रसिद्ध गायक राहुल आर. वेल्लाल आचार्य शंकर विरचित स्तोत्रों का किया गायन
कार्यक्रम में कर्नाटक के सुप्रसिद्ध गायक राहुल आर. वेल्लाल आचार्य शंकर विरचित स्तोत्रों एवं भक्ति पदों का सुमधुर गायन किया। उन्होंने गणेश पँचरत्नम,शिव पंचाक्षर स्तोत्र, शिवाष्टकम्, भवानी अष्टक भज गोविन्दम,काल भैरवाष्टक का गान किया।
राहुल के गायन से मंत्रमुग्ध हुए श्रोता
राहुल आर. वेल्लाल कर्नाटक संगीत के विश्वप्रसिद्ध कलाकार हैं। उन्होंने मात्र चार वर्ष की आयु में संगीत की यात्रा प्रारंभ की। उन्होंने भारत और दस अन्य देशों में प्रस्तुति दी है। हाल ही में अमेरिका के 10 शहरों में उनके संगीत कार्यक्रमों को अभूतपूर्व सराहना मिली। पद्म जोनास मसेट्टी ने भी ब्राजील के लोकगीत के साथ शिव शम्भू -शिव शम्भू का गान किया।
आचार्य जोनास मसेट्टी ब्राज़ील में वेदांत का कर रहे प्रचार
पद्म आचार्य जोनास लोपेस मसेट्टी वेदांत के प्रतिष्ठित अध्येता एवं शिक्षक हैं। वे स्वामी दयानंद सरस्वती के शिष्य हैं और भारत के कोयंबटूर स्थित आर्ष विद्या गुरुकुलम् में उन्होंने वर्षों तक वेदांत का अध्ययन किया। अध्ययन के पश्चात उन्होंने ब्राज़ील के रियो डी जेनेरो स्थित पेट्रोपोलिस में विश्व विद्या गुरुकुलम् की स्थापना की, जहाँ से अब तक 2,50,000 से अधिक विद्यार्थियों को वेदांत का अध्ययन कराया जा चुका है। उन्होंने एक सफल मैकेनिकल इंजीनियर का पेशेवर जीवन त्यागकर स्वयं को वेदांत के प्रचार-प्रसार के लिये समर्पित किया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और वेदांत के सेतु-समान प्रवक्ता हैं। उनके योगदान की सराहना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में करते हुए उन्हें “अमेरिका में वैदिक संस्कृति के राजदूत” के रूप में संबोधित किया।