नोएडा
नोएडा के निठारी इलाके में 2005-06 के बीच कई महिलाओं और बच्चों के अचानक लापता होने की घटनाओं ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। मामला तब और गंभीर हो गया जब जांच में घर के पास नालियों से मानव अस्थियां बरामद हुईं और गंभीर आरोप सामने आए – बलात्कार, हत्या और नेक्रोफिलिया तक। इस खौफनाक कहानी का केंद्र बिंदु बना बंगलो D-5, जिसके मालिक मोनिंदर सिंह पांधर और उनके घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली पर आरोप लगे। हालांकि, 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को सभी मामलों में बरी कर दिया, लेकिन सवाल अब भी वही है: बच्चों की हत्या किसने की?
17 साल की जेल, अब खुला मोनिंदर पांधर का सच
व्यवसायी पांधर ने भारत टुडे के साथ विशेष बातचीत में अपने 17 साल के जेल जीवन और रहस्यमयी घटनाओं के बारे में बताया। उनका कहना है कि उन्हें हमेशा मीडिया हंगामा और जांच में अनियमितताओं का सामना करना पड़ा। पांधर ने कहा, “मुझे हत्या या बलात्कार के किसी भी मामले में कभी चार्जशीट नहीं किया गया। फिर सवाल उठता है कि जिम्मेदार कौन? क्या पुलिस, क्या मैं, या कोई और?” उन्होंने दावा किया कि मीडिया दबाव के कारण जांच पूरी तरह प्रभावित हुई और कई बार जांचकर्ताओं को सही दिशा में काम करने का मौका ही नहीं मिला।
लापता बच्चों की कहानी
2005-06 के दौरान निठारी इलाके से कई बच्चे, ज्यादातर लड़कियां, गायब हुईं। उनकी अस्थियां घर के पास की नाली से बरामद हुईं। पांधर का कहना है कि बच्चों के लापता होने की खबरें 2006 में केस सामने आने के बाद ही सुर्खियों में आईं। उन्होंने साफ किया कि अधिकांश बच्चे D-1 से D-6 घरों और निठारी ब्रिज के आसपास गायब हुए थे, केवल D-5 तक ही सीमित नहीं थे। पांधर ने यह भी बताया कि वह बिजनेस के चलते सप्ताह में केवल कुछ दिन ही घर में रहते थे। वहीं, घर के पास पहले से ही पुलिस की गश्त लगी हुई थी। उन्होंने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया और कहा कि जवान ज्यादा उम्र के थे, जो पर्याप्त सतर्क नहीं रह पाए।
सुरेंद्र कोली पर मोनिंदर पांधर की राय
पांधर ने जोर देकर कहा कि उन्होंने कभी सुरेंद्र कोली में कोई संदेहजनक गतिविधि नहीं देखी। कोली को मुख्य आरोपी मानते हुए जनता के बीच छवि बनाई गई थी। पांधर ने कहा, “अगर वह अच्छा नहीं होता, तो मैं उसे अपने घर में नहीं रखता।” हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि घर में कभी-कभार एस्कॉर्ट्स आती थीं, लेकिन लगातार पार्टी या असामान्य गतिविधियों का मुद्दा नहीं था। कुछ लड़कियां घर में इसलिए आती थीं क्योंकि वहां वातावरण शांत और आरामदायक था।
रहस्य ही रह गया
सवाल यह है कि क्या एस्कॉर्ट्स की उपस्थिति ने कोली को प्रभावित किया? पांधर ने स्पष्ट किया, “मैं किसी के मन की बात नहीं जान सकता, केवल वही इसका जवाब दे सकता है।” पांधर को खुद तब पता चला जब पुलिस ने उनकी हिरासत में skeletal remains की सूचना दी। उन्होंने कहा, “सबसे पहले जनता को पता था, मुझे नहीं। मैं सबसे ज्यादा हैरान हुआ जब मेरे घर का नाम सामने आया।”