सिवनी में प्राचीन मंदिर के शेड को लेकर FIR, 16 वनकर्मियों पर कार्रवाई—अधिकारियों और हिंदू संगठन में बहस

सिवनी 

सिवनी में 14 नवंबर को अतिक्रमण बताकर मंदिर का शेड तोड़ने का मामला वन विभाग के गले की फांस बन गया है। हिंदू संगठन का आरोप है कि कार्रवाई सिर्फ कुंठा निकालने के लिए की गई। विभाग के पास इसका कोई लिखित आदेश नहीं था।  बरघाट परियोजना मंडल के एसडीओ, रेंजर, नाकेदार समेत 16 लोगों पर एफआइआर दर्ज किया है।

शुक्रवार को बरघाट थाना क्षेत्र के ग्राम बेहरई वन डिपो के पास स्थित लगभग 50 वर्ष पुराने प्राचीन हनुमान मंदिर में तोड़फोड़ का आरोप लगाते हुए विश्व हिन्दू परिषद सहित अन्य हिन्दू संगठन ने विरोध जताया था। देर रात तक संगठन के पदाधिकारी, कार्यकर्ता, ग्रामीण थाना में डटे रहे। आरोप है कि मप्र राज्य वन विकास लि. बरघाट परियोजना मंडल के अधिकारियों ने कुछ लोगों के साथ मिलकर मंदिर में तोड़फोड़ की। 
ये है मामला

ग्रामीणों के अनुसार बीते कुछ माह से मंदिर परिसर में एक बाबाजी निवास कर रहे थे। आरोप है कि 14 नवंबर को वन विभाग के एसडीओ अनिल क्षत्रिय, रेंजर दिनेश झारिया, रवि गेडाम, पिचले, शैलेन्द्र परते, डिप्टी रेंजर सहित नाकेदारों व चौकीदारों की टीम मंदिर पहुंची और पूजन सहित मंदिर की सामग्री अपने कब्जे में ले लिया। साथ ही पुजारी को अभिरक्षा में ले लिया। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि वन विभाग ने न तो राजस्व विभाग को सूचना दी और न ही पुलिस को अवगत कराया। मौके पर अभद्र व्यवहार और गाली-गलौज के भी आरोप लगाए गए हैं।

इन पर हुई एफआईआर

मंदिर में तोड़फोड़ के आरोप को लेकर पुलिस ने मप्र राज्य वन विभाग लि. बरघाट परियोजना मंडल के एसडीओ अनिल क्षत्रिय, रेंजर दिनेश झारिया, रवि गेडाम, पिचले, शैलेन्द्र परते, डिप्टी रेंजर, नाकेदार, चौकीदार समेत विभाग के १६ लोगों पर बीएनएस सहित अन्य धारा में एफआईआर दर्ज किया है। पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है।

विधायक ने लगाई फटकार

घटना की जानकारी मिलने पर विधायक कमल मर्सकोले मौके पर पहुंचे और अधिकारियों को फटकार लगाई। कहा कि बिना विभागीय समन्वय और धार्मिक सम्मान का ध्यान रखे कार्रवाई करना गंभीर लापरवाही है। उन्होंने मंदिर को पूर्व स्थिति में बहाल करने और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। घटना से नाराज विहिप सहित अन्य संगठनों ने बरघाट थाना प्रभारी को जापन सौंपा और संबंधित वन अधिकारियों, कर्मचारियों पर तत्काल एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी की मांग की।

वन विकास निगम के मंडल प्रबंधक डेविड चनाप का कहना है कि विभागीय जाच करने क्षेत्रीय मुख्य महाप्रबंधक (RGM) को पत्र लिखा गया है। वरिष्ठ अधिकारियों को संज्ञान में लाए बिना एसडीओ अनिल कुमार क्षत्रिय, रेंजर रवि गढ़ाम व दिनेश इयरिया ने कार्रवाई की। तीनों अधिकारियों के निलंबन का प्रस्ताव भेजा गया है। तीन चौकीदार व कर्मचारियों को भी हटाया गया है। इसके अलावा, एसडीओ, चार रेंजर समेत वन विभाग के 16 कर्मचारियों व चौकीदार पर बरघाट थाने में धार्मिक स्थल को क्षति पहुंचाने का प्रकरण दर्ज किया है।

सड़क किनारे 50 साल पुराना मंदिर पर लोगों की आस्था

सिवनी जिला मुख्यालय से बालाघाट रोड पर डामर की सिंगल रोड है। यह पूरा एरिया बरघाट वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आता है। 42 किलोमीटर आगे चलकर बहरई नाके से करीब दो किलोमीटर आगे सड़क किनारे हनुमान जी का छोटा सा मंदिर बना है। यही से करीब दो किलोमीटर आगे वन विभाग का लकड़ियों का डिपो भी है। मुख्य मंदिर का चबूतरा 6 बाय 6 का होगा। ऊपर छोटा सा गुंबद भी है। अंदर हनुमान जी की मूर्ति है। समय के साथ जब भक्तों की तादाद बढ़ी, तो गांव वालों ने बारिश से बचने के लिए करीब 10 बाय 10 के एरिया में चारों ओर बाउंड्री कर ऊपर छत डाल ली। मंदिर के सामने छोटा सा टीन शेड लगा लिया था। पुजारी के रुकने के लिए मंदिर के पीछे आसपास जालियों का शेड लगा लिया था।

दोपहर करीब 3 बजे का वक्त था। यहां मंदिर के पुजारी जटाशंकर पांडे बैठे थे। मंदिर में कुछ श्रद्धालु भी मौजूद थे। लोग मंदिर में माथा टेक कर जा रहे थे। पास ही नारियल और पूजा सामान बेचने की छाेटी सी दुकान थी। तिरपाल डालकर चाय की छोटी सी गुमटी भी थी। जटाशंकर बताते हैं कि मंगलवार और शनिवार को यहां ज्यादा लोग आते हैं। यह मंदिर करीब 50 साल से ज्यादा पुराना है।

पुजारी बोले– जानवरों से बचने के लिए लगाए जाली और टीनशेड

पुजारी बताते हैं कि यहां तीन महीने पहले ही आए हैं। मंदिर में आई चढ़ोतरी से गुजारा चलता है। गांव के लोग भी खाना दे जाते हैं। लोगों के साथ जंगली जानवरों का भी आना–जाना रहता है। इनसे बचने के लिए लोहे की जाली लगा ली थी। पुजारी ने बताया कि 14 नवंबर की दोपहर करीब 3 बजे वन विभाग के कर्मचारियों की टीम आई थी। करीब 40 से ज्यादा लोग रहे होंगे। वे गाली–गलौज करने लगे। तोड़फोड़ शुरू कर दी। कहा कि आपने अतिक्रमण कर लिया है, इसे हटा रहे हैं। हम और गांव वाले बोलते रहे कि अतिक्रमण नहीं कर रहे। उन्होंने एक नहीं सुनी।

उड़नदस्ता वाली गाड़ी से रस्सी बांधकर शेड का पोल गिराया। मंदिर के अंदर का सामान तहस–नहस किया। यहां लगे घंटे को भी तोड़ दिया। करीब एक घंटे तक गदर मचाते रहे। रात में विश्व हिंदू परिषद वाले मंदिर पहुंचे। यहां देखकर वरघाट थाने गए। वे केस दर्ज करने पर अड़ गए। तब कहीं जाकर केस दर्ज किया गया।

लोग बोले– आस्था को ठेस पहुंचाई गई मंदिर पर आने वाले श्रद्धालु चंदन लाल गौतम ने बताया कि मूर्ति करीब 50 साल पुरानी है। लोगों के सहयोग से छोटा सा मंदिर बना लिया गया। यह वह चारों तरफ से खुला था। जंगल क्षेत्र होने के कारण आजू–बाजू में लोहे की जाली और दरवाजा बना लिया गया था। वह विभाग के लोगों ने हटा दिए।

बाबू लाल पाराशर का कहना है कि कई साल से मंदिर में दर्शन करने आ रहे हैं। यहां से लोगों की आस्था जुड़ी है। इस 50 साल पुराने मंदिर में लोग पूजन करने आते हैं। शनिवार–मंगलवार को भीड़ अधिक होती है। यहां 40 से अधिक वन विभाग के लोग आए थे, जिन्हें ने गलत तरीके से मंदिर को क्षति पहुंचाने का प्रयास किया। गाली गलौज की।

अफसर बाेले– अधिकारियों ने बोलने से मना किया मामले में वन विभाग के अफसर मीडिया से बात करने से बच रहे हैं। एक अफसर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर दैनिक भास्कर बताया कि अपने वरिष्ठ अधिकारी के मौखिक आदेश पर अतिक्रमण हटाने गए थे। मंदिर के आसपास लोगों ने अतिक्रमण कर लिया गया था। उसे ही तोड़ा था। गांव वालों ने विरोध जताया। हिंदू संगठनों के दबाव में गलत एफआईआर की गई है। यह झूठ और प्रोपेगंडा है। वरिष्ठ अधिकारियों ने हमें इस मामले में बोलने से मना किया है। मामले को ज्यादा आगे नहीं बढ़ाना है, इसलिए इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकते।

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