नई दिल्ली
दिल्ली कार ब्लास्ट के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम सुर्खियों में आया. दरअसल, दिल्ली में ब्लास्ट करने वाले उमर नबी का कनेक्शन इसी यूनिवर्सिटी से था. तभी से यूनिवर्सिटी पर जांच तेज कर दी गई है. हाल ही में इंटेलिजेंस की एक रिपोर्ट आई, जिसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ. बता दें कि 2008 में अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट में भी एक अल-फलाह स्टूडेंट का नाम सामने आया था.
अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट 2008
इंडियन मुजाहिदीन का सक्रिय सदस्य मिर्जा शादाब बेग भी अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज का ही छात्र रह चुका है. बेग ने 2007 में फरीदाबाद स्थित अल-फलाह इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटेशन) पूरा किया था. इसके बाद साल 2008 में अहमदाबाद में हुए सीरियल धमाकों में वह शामिल पाया गया था. यह आतंकी पिछले कई सालों से गायब है. सूत्रों के मुताबिक, इसकी लोकेशन अफगानिस्तान में बताई जाती है.
धौज स्थित यूनिवर्सिटी पर जांच
दिल्ली धमाके के बाद फरीदाबाद के धौज में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी एक बार फिर से जांच एजेंसियों के रडार पर आ गई है. अल-फलाह कॉलेज की शुरुआत अल-फलाह स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के रूप में हुई थी. बाद में 2014 में हरियाणा प्राइवेट यूनिवर्सिटीज अमेंडमेंट एक्ट के तहत इसे यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला.
2008 जयपुर ब्लास्ट में अहम भूमिका
मिर्जा शादाब बेग इंडियन मुजाहिदीन के लिए एक बेहद अहम सदस्य था. 2008 के जयपुर धमाकों में विस्फोटक इकट्ठा करने के लिए मिर्जा शादाब बेग उडुपी गया था. वहीं पर मिर्जा ने रियाज और यासीन भटकल को बड़ी मात्रा में डेटोनेटर और बेयरिंग मुहैया कराए थे, जिनसे IED तैयार किए गए. इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग की पढ़ाई के कारण बेग बम बनाने की तकनीक में काफी माहिर माना जाता था.
अहमदाबाद-सूरत धमाकों में बड़ी भूमिका
अहमदाबाद धमाकों से करीब 15 दिन पहले बेग अहमदाबाद पहुंचा था और उसने पूरे शहर की रेकी की थी. बेग ने तीन टीमों के साथ मिलकर धमाकों की प्लानिंग की और लॉजिस्टिक, IED फिटिंग और बम तैयार करने का काम किया था. इसके अलावा, गोरखपुर में हुए 2007 के बम धमाकों में भी शादाब बेग का नाम सामने आया था. इन धमाकों में 6 लोग घायल हुए थे. बाद में आईएम से लिंक जुड़ने पर गोरखपुर पुलिस ने उसकी संपत्ति कुर्क कर ली थी.