आसिम मुनीर पाक इतिहास का सबसे बड़ा खलनायक, भारत को निशाने पर लेते ही बन गया भस्मासुर

नई दिल्ली

पहलगाम अटैक के बाद भारत-पाक के बीच बढ़े तनाव के बीच पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर पाकिस्तान में सबसे बड़े खलनायक बन कर उभर रहे हैं. भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी लोग मान रहे हैं कि भारत-पाक के बीच युद्ध जैसी स्थिति के लिए मुनीर ही जिम्मेदार हैं. आज 1971 के बाद पहली बार पाकिस्तान इतना कमजोर नजर आ रहा है तो उसके पीछे भी मुनीर को ही कारण बताया जा रहा है. पाकिस्तान के सेना प्रमुख के रूप में उन्होंने कई ऐसे कार्य किए हैं जिनके कारण पाकिस्तान को आंतरिक और बाह्य चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

जनरल आसिम मुनीर ने अपनी भड़काऊ बयानबाजी, आतंकवाद को बढ़ावा देने, और गलत रणनीतिक फैसलों के जरिए पाकिस्तान को अभूतपूर्व संकट में डाल दिया है . पहलगाम हमले और उनके टू-नेशन थ्योरी को बढ़ावा देने के कारण भारत के साथ तनाव को चरम पर पहुंच गया है. जबकि बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, और पीओके में विद्रोह ने देश को अंदर से खोखला कर दिया है.

माइकल रुबिन, एक पूर्व पेंटागन अधिकारी और अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट (AEI) के वरिष्ठ फेलो, ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की तीखी आलोचना की है. रुबिन ने मुनीर को आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला और अल-कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के समकक्ष बताया है.  मुनीर की अलोकप्रियता, सेना के भीतर असंतोष, और जनता का गुस्सा दर्शाता है कि वह न केवल भारत के लिए, बल्कि पाकिस्तान के लिए भी खलनायक साबित हो रहे हैं. कहा जा रहा है कि मुनीर का नेतृत्व जारी रहा, तो पाकिस्तान का विखंडन और गृहयुद्ध जैसे हालात हो सकते हैं।

1. मुनीर के बयानों से आतंकवादियों को मिली हरी झंडी, पहलगाम हमला उसका परिणाम

आसिम मुनीर पर आरोप है कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में अप्रैल 2025 में हुए आतंकी हमले को प्रायोजित किया, जिसमें 26-27 हिंदू पर्यटकों की हत्या हुई. यह हमला उनके भारत-विरोधी जहरीले बयानों के ठीक बाद हुआ, जिसमें उन्होंने दो-राष्ट्र सिद्धांत को बढ़ावा देते हुए कहा कि हिंदू और मुस्लिम पूरी तरह अलग हैं और कश्मीर पाकिस्तान की रगों का हिस्सा है. समझा जाता है कि उनका ये बयान आतंकवादियों के लिए इशारा था. माइकल रुबिन का कहना है कि मुनीर का बयान आतंकवादी समूहों के लिए हरी झंडी का काम किया. रुबिन ने कहा कि मुनीर के इन बयानों ने लश्कर-ए-तैयबा और उसकी प्रॉक्सी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) जैसे समूहों को पहलगाम हमले के लिए प्रेरित किया.

भारत ने इस हमले के जवाब में पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया. इससे दोनों देश युद्ध के कगार पर पहुंच गए. यदि तनाव बढ़ता है, तो पाकिस्तान को सैन्य और आर्थिक नुकसान हो सकता है, क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था पहले से ही कमजोर है.

सऊदी अरब और यूएई जैसे सहयोगी देशों ने पहलगाम हमले के लिए मुनीर की आलोचना की, जिससे पाकिस्तान की कूटनीतिक स्थिति कमजोर हुई. सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी नागरिकों ने चिंता जताई कि युद्ध के कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था 100 साल पीछे चली जाएगी. क्योंकि देश पहले से ही IMF, सऊदी अरब, और यूएई से लिए गए कर्ज पर निर्भर है.

2. पाकिस्तान में उभरते लोकतंत्र के दमन कारण बने, इमरान खान और PTI को कुचलने में बड़ी भूमिका

मुनीर पर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का आरोप रहा है. खान 2023 से जेल में हैं, और उनके खिलाफ 200 से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए. 2024 के आम चुनावों में कथित धांधली के जरिए PTI को सत्ता से दूर रखा गया. PTI नेताओं की गिरफ्तारी और सैन्य अदालतों में मुकदमे चलाने का आदेश भी मुनीर से जुड़े हैं.

इमरान खान की लोकप्रियता के बावजूद उनके दमन से पाकिस्तान में राजनीतिक अशांति बढ़ी है. PTI समर्थकों और अन्य विपक्षी दलों जैसे मौलाना फजलुर रहमान ने मुनीर के खिलाफ आंदोलन शुरू किए, जिससे #MunirOut जैसे ट्रेंड सोशल मीडिया पर वायरल हुए. पाकिस्तान में मुनीर की नीतियों को अघोषित मार्शल लॉ के रूप में देखा जा रहा है. खान के समर्थकों और मुनीर के बीच बढ़ता तनाव सेना को कमजोर कर सकता है.

3. पूर्व सेना प्रमुखों के मुकाबले मुनीर कितने कुशल

जनरल सैयद आसिम मुनीर, जो नवंबर 2022 से पाकिस्तान के सेना प्रमुख हैं, को उनके भड़काऊ बयानों, धार्मिक कट्टरता, और पहलगाम हमले में कथित भूमिका के कारण खलनायक माना जा रहा है. उनकी तुलना पूर्व सेना प्रमुखों जैसे परवेज मुशर्रफ, कमर जावेद बाजवा, राहील शरीफ, और अशफाक परवेज कयानी से करने पर उनकी नीतियों, नेतृत्व शैली, और पाकिस्तान पर प्रभाव में स्पष्टतया कमतर नजर आते हैं.

बाजवा ने 2019 के पुलवामा हमले के बाद संयम बरता और भारतीय पायलट अभिनंदन वर्धमान को लौटाकर युद्ध टाला. बाजवा का जोर क्षेत्रीय स्थिरता और कूटनीति पर था. परवेज मुशर्रफ ने करगिल युद्ध (1999) और संसद हमले (2001) के जरिए भारत के साथ तनाव बढ़ाया, लेकिन उनकी छवि उदारवादी थी. वे मुनीर की तरह इस्लामी कट्टरता और जिहादी बयानबाजी पर निर्भर नहीं थे.

मुनीर का धार्मिक ज्ञान, ISI और मिलिट्री इंटेलिजेंस का अनुभव, और आंतरिक दमन की नीति उन्हें अपने पूर्ववर्तियों से अधिक खतरनाक बनाती हैं. मुनीर की रणनीति मुशर्रफ और कयानी की तरह आतंकवाद पर निर्भर है, लेकिन उनकी खुली धार्मिक बयानबाजी जैसे हिंदू और मुस्लिम अलग हैं और परमाणु धमकियां उन्हें अधिक आक्रामक बनाती हैं. उनकी परमाणु धमकियों पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 2025 में चर्चा की जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की छवि खराब हुई है.

मुशर्रफ और बाजवा ने अमेरिका और चीन के साथ संतुलन बनाया, लेकिन मुनीर ने CPEC हमलों (जैसे कराची में चीनी नागरिकों की हत्या, 2024) के कारण चीन को नाराज किया. FATF में ग्रे लिस्ट का खतरा उनकी कूटनीतिक विफलता को दर्शाता है.

4. बलूचिस्तान और गिलगित-बाल्तिस्तान में असंतोष की जड़

मुनीर ने बलूचिस्तान में अलगाववादी आंदोलनों को कुचलने के लिए सैन्य कार्रवाई तेज की और क्षेत्र को पाकिस्तान के माथे का झूमर बताया. हालांकि, उनकी धमकियों, जैसे आतंकवादियों की 10 पीढ़ियां भी बलूचिस्तान को नुकसान नहीं पहुंचा सकतीं ने स्थानीय नेताओं को भड़काया. बलूच नेता सरदार अख्तर मेंगल ने 1971 की बांग्लादेश हार की याद दिलाते हुए सेना को चेतावनी दी. गिलगित-बाल्तिस्तान में भी स्थानीय लोग सेना के खिलाफ सड़कों पर उतरे.

बलूचिस्तान में बलूच विद्रोहियों ने सेना को कई बार नुकसान पहुंचाया है. यदि यह विद्रोह बढ़ता है, तो यह 1971 जैसे विभाजन का कारण बन सकता है, जिससे पाकिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता खतरे में पड़ सकती है. बलूचिस्तान और गिलगित-बाल्तिस्तान में अशांति से CPEC (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट प्रभावित हो सकते हैं. जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को और झटका लगेगा.

5. सेना में असंतोष और मुनीर पर भ्रष्टाचार के आरोप

मुनीर के नेतृत्व में सेना के भीतर असंतोष बढ़ा है. मार्च 2025 में जूनियर अधिकारियों ने उनके खिलाफ खुला पत्र लिखकर इस्तीफे की मांग की. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, 72 घंटों में 1,450 सैनिकों (250 अधिकारियों सहित) ने इस्तीफा दे दिया, हालांकि पाक सेना ने इसे भारतीय प्रचार बताया.हालांकि लेफ्टिनेंट जनरल उमर अहमद बुखारी ने भी सेना में कमजोर मनोबल की बात उठाई.

मुनीर के चलते असंतुष्ट सैनिकों और अधिकारियों के विद्रोह या आतंकी संगठनों में शामिल होने का खतरा बढ़ सकता है, जिससे आंतरिक सुरक्षा संकट गहरा सकता है. मुनीर पर आरोप है कि उन्हो्ंने सेना से बहुत पैसा बनाया है. उन्होंने काला धन रियल एस्टेट, बैंकिंग, डेयरी आदि में लगाया है. उनकी व्यक्तिगत संपत्ति को 80 लाख डॉलर आंका गया है. सोशल मीडिया पर लगाए गए आरोपों में कहा गया कि उन्होंने अमेरिका और इंग्लैंड में अरबों की संपत्ति बनाई है.

 

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