BCCI अध्यक्ष पद का फैसला जल्द! अमित शाह के साथ मीटिंग में होगा नाम का ऐलान

नई दिल्ली 
भारतीय क्रिकेट में 28 सितंबर का दिन बहुत बड़ा दिन होगा, क्योंकि इसी दिन बोर्ड के शीर्ष पदाधिकारियों का चुनाव होना है। सबसे बड़ा मुद्दा अध्यक्ष पद को लेकर है, क्योंकि पूर्व क्रिकेटर रोजर बिन्नी का कार्यकाल पूरा हो गया है। इस समय उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला बीसीसीआई के अंतरिम चेयरमैन बने हुए हैं। इस बीच खबर है कि दिल्ली में इसको लेकर मीटिंग होनी है, जो देश के गृह मंत्री अमित शाह के साथ होने की संभावना है।

रिपोर्ट के मुताबिक, 20 सितंबर को दिल्ली में सत्ताधारी पार्टी के सदस्यों के साथ बीसीसीआई के अधिकारियों की मीटिंग होनी है। इसी दिन फैसला हो जाएगा कि कौन अगला चेयरमैन होगा। हालांकि, ऐलान 28 सितंबर को होने की संभावना है। यह अनौपचारिक बैठक गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर होगी, जहां बीसीसीआई के अगले नेतृत्व की अंतिम रूपरेखा तय होने की उम्मीद है। 2022 में भी इसी तरह की एक बैठक में पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने तत्कालीन बीसीसीआई प्रमुख सौरव गांगुली पर पिछले तीन वर्षों के उनके प्रदर्शन को लेकर तीखी आलोचना की थी।

गांगुली उस समय एक और कार्यकाल के लिए बीसीसीआई के चेयरमैन पद पर बने रह सकते थे, लेकिन बैठक में अंततः रोजर बिन्नी को इस पद के लिए चुना गया। गांगुली को उस बैठक में फिर से आमंत्रित किया जाएगा या नहीं, यह केवल अनुमान का विषय है, लेकिन अटकलें अभी भी उनके और उनके पूर्व साथी हरभजन सिंह के नाम को लेकर हैं। कर्नाटक के पूर्व भारतीय टेस्ट क्रिकेटर रघुराम भट्ट के बारे में भी कुछ चर्चा हुई है। इसके अलावा पूर्व भारतीय विकेटकीपर किरण मोरे का नाम भी लिस्ट में शामिल है, जिनको बीसीसीआई अध्यक्ष पद की कुर्सी मिल सकती है। किरण मोरे भले ही एजीएम में शामिल प्रतिनिधियों में शामिल न हों, लेकिन इसके लिए भी प्रावधान है।

बीसीसीआई के चुनाव अधिकारी ए.के. जोति की 6 सितंबर की अधिसूचना के अनुसार, "आपत्तियों की जांच और उन पर निर्णय (ii) अंतिम मतदाता सूची जारी करने" की अंतिम तिथि 19 सितंबर है। इसका मतलब है कि राज्य संघ अगले 24 घंटों के भीतर वार्षिक आम बैठक (एजीएम) में अपने नामांकित व्यक्तियों को बदल सकते हैं। सौरव गांगुली, हरभजन सिंब, रघुराम भट्ट या शायद कोई और नाम पर मुहर लगेगी? यह निर्णय शनिवार रात दिल्ली में होने वाली मीटिंग में हो सकता है। सत्तारूढ़ भाजपा खेल संस्थाओं के दैनिक मामलों में सीधे हस्तक्षेप करने के लिए नहीं जानी जाती है, लेकिन उसकी यह सुनिश्चित करने की नीति है कि कुशल खिलाड़ी ही राष्ट्रीय खेल संस्थाओं का नेतृत्व करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *