कॉमर्स के छात्रों के लिए अब करियर के रास्ते केवल पारंपरिक क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहे हैं। आज के डिजिटल युग में ई-कॉमर्स यानी इंटरनेट या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से होने वाले व्यापार ने रोजगार और करियर के नए आयाम खोल दिए हैं। प्रौद्योगिकी के तेज़ी से विकास और डिजिटल भुगतान प्रणाली के प्रसार ने इस क्षेत्र को और भी अधिक सशक्त बना दिया है।
भारतीय ई-कॉमर्स बाजार की स्थिति
भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ई-खुदरा बाजार बन चुका है। वर्ष 2024 तक भारतीय ई-कॉमर्स बाजार का मूल्य 150 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक पहुँच गया है और अनुमान है कि वर्ष 2030 तक यह 350 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर जाएगा। वर्तमान में भारत में 27 करोड़ से अधिक ऑनलाइन खरीदार हैं और 2025 तक यह संख्या 90 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के साथ और बढ़ेगी। इस विकास में ग्रामीण भारत की भूमिका भी अहम होगी।
विकास के प्रमुख कारण
स्मार्टफोन और इंटरनेट की बढ़ती पहुँच ने गाँव-गाँव तक डिजिटल लेनदेन को संभव बना दिया है। एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) ने खरीद-बिक्री को बेहद आसान बनाया है और द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के शहरों की भागीदारी ने इस बाजार को नई गति दी है। वहीं, त्वरित वाणिज्य (क्यू-कॉमर्स) यानी तेज़ डिलीवरी सेवाएँ अब ई-खुदरा कारोबार का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा हैं, जो हर साल 40 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ रही हैं।
ई-कॉमर्स में करियर के अवसर
ई-कॉमर्स उद्योग के विस्तार के साथ तकनीकी और प्रबंधकीय दोनों तरह के युवाओं की माँग लगातार बढ़ रही है। एचएसबीसी वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दशक में इस क्षेत्र में लगभग 2 करोड़ 40 लाख रोजगार के अवसर बनेंगे, जिनमें से 2025 तक लगभग 1 करोड़ 20 लाख नौकरियाँ सृजित होने की उम्मीद है।
तकनीकी विशेषज्ञता वाले प्रमुख पद
ई-कॉमर्स वेबसाइटों के निर्माण और रखरखाव के लिए वेबसाइट डेवलपर और डिज़ाइनर की आवश्यकता होती है। डिजिटल विपणन विशेषज्ञ खोज इंजन अनुकूलन (एसईओ), सामाजिक मीडिया प्रचार और ऑनलाइन विज्ञापनों का प्रबंधन करते हैं। डेटा विश्लेषक ग्राहक व्यवहार का अध्ययन करके व्यावसायिक निर्णयों में मदद करते हैं, जबकि साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ ऑनलाइन लेनदेन और उपभोक्ता डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
प्रबंधन विशेषज्ञता वाले प्रमुख पद
ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने उत्पादों को ग्राहकों तक पहुँचाने के लिए कुशल आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधक की आवश्यकता होती है। ग्राहक संबंध प्रबंधक (सीआरएम) ग्राहक सेवा और उनके साथ मजबूत संबंध बनाए रखने का काम करते हैं। वहीं, ई-कॉमर्स प्रबंधक पूरे ऑनलाइन व्यापार संचालन की देखरेख करते हैं।
योग्यता और पाठ्यक्रम
ई-कॉमर्स में करियर शुरू करने के लिए सामान्यतः कक्षा 12वीं (वाणिज्य विषय) उत्तीर्ण होना आवश्यक है। कुछ प्रमाणपत्र या डिप्लोमा पाठ्यक्रम 10वीं पास छात्रों के लिए भी उपलब्ध हैं। प्रमुख पाठ्यक्रमों में ई-कॉमर्स में व्यवसाय प्रशासन स्नातक (बीबीए), खुदरा या ई-कॉमर्स प्रबंधन में एमबीए, और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा (पीजीडीएम) शामिल हैं। इसके अलावा डिजिटल विपणन, ई-कॉमर्स संचालन, और वेब विकास में लघु अवधि के पाठ्यक्रम भी लोकप्रिय हैं।
प्रवेश प्रक्रिया और भविष्य की संभावनाएँ
इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए विश्वविद्यालय और महाविद्यालय सामान्य प्रवेश परीक्षा (जैसे सीयूईटी, कैट, मैट या जीमैट) आयोजित करते हैं। इसके बाद छात्र पाँच वर्षीय संयुक्त एमबीए कार्यक्रम में भी प्रवेश ले सकते हैं। योग्य अभ्यर्थियों को फ्लिपकार्ट, अमेज़न इंडिया, मिंत्रा, और टाटा क्लिक जैसी बड़ी कंपनियों में आकर्षक वेतनमान के साथ नौकरी मिलने के अवसर मिलते हैं।
निष्कर्ष
डिजिटल युग में ई-कॉमर्स केवल खरीद-बिक्री का माध्यम नहीं रह गया है, बल्कि यह युवा पीढ़ी के लिए करियर और उद्यमिता के अनगिनत अवसर लेकर आया है। जो छात्र तकनीक और व्यापार दोनों में रुचि रखते हैं, उनके लिए यह क्षेत्र भविष्य की सबसे उज्ज्वल राहों में से एक बन चुका है।