इंदौर का भिक्षा मुक्त अभियान अब अन्य शहरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनने जा रहा

 इंदौर

 भिक्षा वृत्ति से मुक्त देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर अब अन्य शहरों के लिए प्रेरक भूमिका निभाएगा। इंदौर के इस अभियान की राष्ट्रीय स्तर पर सराहना के बाद अब सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा सात-आठ अप्रैल को देहरादून में आयोजित चिंतन शिविर में इस अभियान का प्रजेंटेशन भी राज्य सरकार देगी, ताकि देश के अन्य प्रदेश भी इस अभियान से प्रेरित हो सकें।

इंदौर इस तरह का पहला शहर भी बना जहां भिक्षा लेने और लेने पर प्रकरण दर्ज किया गया। शहर को भिक्षा मुक्त करने में प्रशासन को करीब एक वर्ष का समय लगा है। फरवरी-2024 में शुरू हुए इस अभियान को तीन चरण में चलाया गया। भिक्षा देने और लेने वालों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किए गए। दल ने 825 वयस्क लोगों का रेस्क्यू कर सेवाधाम आश्रम भेजा।

भिखारियों को सामान देने पर होगा केस दर्ज

करीब 115 बच्चों को बाल देखरेख संस्थान में रखा। इसी वर्ष दो जनवरी को कलेक्टर ने एक आदेश भी जारी किया था। आदेश के अनुसार जो व्यक्ति भिक्षुओं को भिक्षा स्वरूप कोई भी चीज देता है या इनसे कोई सामान खरीदता हैं, तो उसके विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाएगा।

इसी कड़ी में अलग-अलग जगहों पर तीन लोगों पर अब तक आपराधिक प्रकरण भी दर्ज हुआ है। अभियान में भिक्षावृत्ति में लिप्त 172 बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाया जा चुका है। बच्चों के स्वजन को भी रोजगार दिलाया जा रहा है। इसी माह में 50 लोगों को रोजगार दिलाया जाएगा।

एक हजार रुपये का इनाम

अभियान के तहत प्रशासन ने नवाचार भी किया। इसमें भिक्षावृत्ति से जुड़े लोगों की सूचना देने पर एक हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा हुई। प्रशासन अब तक 28 लोगों को एक हजार रुपये की राशि देकर सम्मानित भी कर चुका है। प्रशासन की यह सूचना सोशल मीडिया पर इतनी वायरल हुई कि देशभर से काल आने लगे।

इंदौर को भिक्षावृत्ति से मुक्त करना आसान नहीं था

इस अभियान में सबसे बड़ी कठिनाई यह थी कि पकड़े जाने पर भिक्षुक खुद को भिक्षुक नहीं मानता था। इसलिए दल ने वीडियो रिकार्डिंग की। दल के सामने यह भी समस्या थी कि रेस्क्यू किए गए भिक्षुकों में से यह छांटना कि कौन भिक्षुक आगे भिक्षावृत्ति छोड़ देगा और कौन यह नहीं छोड़ेगा, किसको अल्पकाल के लिए रखकर छोड़ दिया जाए और किसको सेवा धाम उज्जैन भेजा जाए।

अभियान के कारण भिक्षुकों ने समय और जगह दोनों बदल ली। दूसरे राज्यों से आने वाले भिक्षुक समूह में वर्षो से इंदौर में रह रहे थे, उनकी काउंसिलिंग कर वापस भेजना दल के लिए चुनौतीपूर्ण काम था। कई बार टीम के साथ धक्का-मुक्की और छीना-झपटी की कोशिश भी हुई, लेकिन दल ने हर बार समझाइश देकर अपना अभियान जारी रखा।

देहरादून में होगा चिंतन शिविर

    प्राइम मिनिस्टर अवॉर्ड फार एक्सीलेंस के लिए इस अभियान का नाम भेजा गया है। इसके दो चरण पूरे हो चुके हैं। साथ ही देहरादून में होने वाले चिंतन शिविर में इस प्रोजेक्ट को पूरे देश के सामने रखा जाएगा। – दिनेश मिश्रा, प्रभारी, भिक्षावृत्ति उन्मूलन अभियान

दूसरे राज्य ले रहे अभियान की जानकारी

    अभियान में बेहतर परिणाम आए हैं। इंदौर की राह पर प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस अभियान को लागू किया गया है। साथ ही अन्य राज्यों से भी अभियान को लेकर जानकारी ली जा रही है। – आरएन बुधोलिया, जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला व बाल विकास विभाग

मुहिम से आम लोगों को सीधे जोड़ा

    शहरवासियों की जागरूकता के कारण ही अब चौराहों पर पहले की तरह भिक्षुक नजर नहीं आते हैं। पहले भी इस तरह के प्रयास किए गए थे, लेकिन इस बार इस मुहिम से आम लोगों को सीधे जोड़ा। इसके सकारात्मक परिणाम आए। –आशीष सिंह, कलेक्टर इंदौर

 

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