बदायूं में 91 दिन में इंसाफ: दुष्कर्म और हत्या के दोषी को मिली फांसी की सजा

बदायूं

बदायूं में सात साल की बच्ची का अपहरण करने के बाद दुष्कर्म व हत्या करने के दोषी जानेआलम उर्फ जैना को स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट दीपक यादव की अदालत ने मृत्युदंड की सजा सुनाई है। अदालत ने दोषी पर 2.30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। खास बात यह है कि मुकदमा चलने के 91 वें दिन फैसला आया है।

बिल्सी क्षेत्र की रहने वाली कक्षा तीन की छात्रा 18 अक्तूबर 2024 को दोपहर करीब तीन बजे बाहर गई थी, लेकिन काफी देर बाद भी घर नहीं लौटी। तलाश के दौरान पुलिस व परिजनों को रात करीब नौ बजे एक खंडहरनुमा घर की अलमारी में बच्ची का शव कपड़े में लिपटा हुआ मिला था। उसका सिर कुचला हुआ था। चेहरे पर खरोंच के निशान थे। पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के तहत अपहरण, दुष्कर्म व हत्या की धारा में अज्ञात आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।

मुठभेड़ में पकड़ा गया था आरोपी
पुलिस ने देर रात में ही इलाके के कई सीसीटीवी कैमरे खंगाले। इसमें बिल्सी कस्बे के वार्ड चार का रहने वाला जानेआलम उर्फ जैना पुत्र रियाजउद्दीन बच्ची को ले जाते हुए दिखा। पुलिस ने देर रात मुठभेड़ में उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस की पूछताछ में जानेआलम ने बच्ची के साथ दुष्कर्म व हत्या की घटना स्वीकार की थी। बुधवार को अदालत ने जानेआलम को मृत्युदंड की सजा सुनाते हुए 2.30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

18 दिसंबर को चार्जशीट कोर्ट में दाखिल हुई थी। 18 मार्च को कोर्ट ने उसे दोषी करार दिया और 19 को सजा सुना दी। नियमों के अनुसार विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट की ओर से सजा की फाइल उच्च न्यायालय भेजी जाएगी। वहां से पुष्टि होने के बाद फांसी दी जाएगी, तब तक जानेआलम जेल में बंद रहेगा।
 
पहचान उजागर करने पर यूट्यूबर पर मुकदमे का आदेश
अदालत ने पीड़िता की पहचान उजागर करने वाले यूट्यूबर पर मुकदमे का आदेश दिया है। अदालत ने एसएसपी को आदेश दिया है कि पीड़िता की पहचान उजागर करने पर यूट्यूबर शिवा पाराशर निवासी मोहल्ला नंबर दो, बिल्सी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर वैधानिक कार्रवाई की जाए। यूट्यूबर ने अपने चैनल के माध्यम से पीड़िता की पहचान को उजागर किया था।

पिता बोले- अदालत के फैसले से संतुष्ट
दोषी जानेआलम को सजा सुनाए जाने के वक्त बच्ची के पिता भी अदालत परिसर में मौजूद थे। जैसे ही अदालत ने जानेआलम को मृत्युदंड की सजा सुनाई, उनके आंसू छलक आए। कहा- दोषी को फांसी की सजा से मैं पूरी तरह संतुष्ट हूं। इससे बड़ी सजा और क्या हो सकती है।

अदालत ने सजा सुनाते हुए की टिप्पणी
स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट के न्यायाधीश ने सात साल की छात्रा के साथ अपहरण के बाद दुष्कर्म व हत्या के दोषी को सजा सुनाते हुए आदेश दिया है कि दोषी को फांसी के फंदे पर तब तक लटकाया जाए, जब तक उसकी मौत न हो जाए। साथ ही अदालत ने कहा कि बालिका से दुष्कर्म करने के बाद हत्या करना कोई सामान्य घटना नहीं है।  

अदालत ने जानेआलम को सजा सुजा सुनाते हुए टिप्पणी में कहा कि अबोध बालिका के साथ दुष्कर्म व हत्या की कोई भी घटना सामान्य नहीं होती। यहां यह बताना जरूरी है कि बालिका के साथ दरिंदगी करते हुए दुष्कर्म के बाद उसकी जीवन लीला ईंट से सिर कुचलकर समाप्त कर दी गई। यह घटना जनमानस को झकझोरने वाली है। ऐसे में उच्चतम न्यायालय की विधि व्यवस्था यूनियन ऑफ इंडिया बनाम देवेंद्र राय (2006)2 एससीसी 242 में समुचित दंड दिए जाने की व्यवस्था दी गई है।

इसमें कहा गया है कि किसी भी दोष सिद्ध के प्रति सजा सुनाते समय सहानुभूति नहीं दिखानी चाहिए, क्योंकि इससे समाज में गंभीर संकट उत्पन्न होता है। आम जनता में न्याय प्रशासन के प्रति अविश्वास उत्पन्न होता है।

झूठी गवाही में फंसा परवेज
सात साल की मासूम के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या करने के मामले में एक गवाह ने झूठी गवाही दी। बिल्सी पुलिस ने मुकदमे की विवेचना के दौरान मजबूत साक्ष्यों को संकलित करने के साथ ही कड़ी पैरवी की। इससे गवाही जानेआलम को राहत नहीं दे सकी।  मुकदमे में गवाह बने परवेज ने शुरुआत में पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की थी।

 

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