वॉशिंगटन
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने इस बात की आधिकारिक पुष्टि कर दी है कि इस साल का जुलाई महीना 1880 से अब तक का सबसे गर्म महीना था. साथ ही चेतावनी दी है कि अगले साल यानी 2024 में बहुत ज्यादा गर्मी पड़ेगी. उसकी तैयारी हमें अभी से करनी होगी. अगर नहीं किया तो बहुत सारे लोगों की जान जा सकती है.
इस समय पूरी दुनिया में अलग-अलग जगहों पर कई तरह की आपदाएं आ रही हैं. जिसकी वजह से धरती को बुखार हो गया है. तापमान बढ़ा हुआ है. बढ़ता ही जा रहा है. नासा के प्रमुख बिल नेल्सन ने बताया कि नासा का डेटा इस बात की पुष्टि करता है कि अरबों लोगों ने इस साल भयानक गर्मी बर्दाश्त की है. जुलाई सबसे गर्म महीना रिकॉर्ड हुआ है.
बिल ने कहा कि अमेरिका हो या कोई अन्य देश. सभी के सभी जलवायु संकट से जूझ रहे हैं. इसका विज्ञान सबको समझना होगा. नहीं तो धरती रहने लायक नहीं बचेगी. हमें अपने साथ-साथ पृथ्वी और पर्यावरण को भी बचाना होगा. इस साल 3 जुलाई से लेकर 7 अगस्त तक लगातार 36 दिनों तक भयानक गर्मी पड़ी है. पारा चढ़ा हुआ था.
वायुमंडल में जा रहा कार्बन उत्सर्जन और साथ में अल-नीनो का प्रभाव. इन दोनों ने मिलकर पूरी दुनिया में गर्मी बढ़ा दी है. अमेरिका से लेकर चीन तक, कोई भी इलाका ठंडा नहीं है. सामान्य से ऊपर तापमान चल रहा है. चीन में सैकड़ों लोग गर्मी की वजह से मारे गए हैं. गर्मी से कनाडा, रूस, यूरोप, अफ्रीका और हवाई द्वीप के जंगलों में आग लगी. तूफान आए. अमेरिका, मध्य-पूर्व, एशिया और यूरोप में मॉनसूनी तूफान और बारिश से बाढ़ देखने को मिला.
दूसरी तरफ NOAA की प्रमुख सारा कैपनिक ने कहा कि इंसान जब से गर्मी का रिकॉर्ड रख रहे हैं. तब से अब तक 2023 तीसरा सबसे गर्म साल था. अगले साल भी अल-नीनो का असर दिखने वाला है. नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज के गैविन श्मिट कहते हैं कि 2024 में और ज्यादा गर्मी पड़ेगी. अगर 1.1 डिग्री सेल्सियस भी तापमान बढ़ा तो मुसीबत आ जाएगी. फिलहाल तापमान में 0.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्ज हुई है.
बर्कले के पर्यावरणविद जेके हॉसफादर अपने ब्लॉग में लिखते हैं कि अल-नीनो अगले साल बहुत मुसीबत लेकर आने वाला है. हम जितना सोच रहे हैं, उससे ज्यादा गर्मी पड़ने वाली है. बहुत सारे इलाकों में बहुत ही ज्यादा आपदाएं आएंगी. हम दशकों से चेतावनी दे रहे हैं लेकिन जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल बंद नहीं हो रहा है.
किस साल रही थी सबसे ज्यादा गर्मी?
अगर इतिहास की बात करें कि किस साल में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ी थी, तो इसका स्पष्ट जवाब देना काफी मुश्किल है. वैसे तो हर साल गर्मी के रिकॉर्ड टूटते ही जा रहे हैं. भारत के हिसाब से देखें तो पिछले कुछ सालों में साल 2015 को सबसे गर्म साल माना जाता है. इसके पीछे दावा ये है कि इस साल देश के कई शहरों में तापमान 48 डिग्री तक चला गया था और लू का भारी आक्रमण था. माना जाता है कि दुनिया की सबसे खतरनाक लू में इस वक्त की लू का पांचवा स्थान था.
इसके अलावा, कई रिपोर्ट में 2010 को सबसे गर्म सालों में से माना जाता है. इसके पीछे दावा ये है कि इस साल करीब 30 दिन दिल्ली में 42 डिग्री पारा रहा था, इसे 1951 के बाद से सबसे गर्म माना जाता है. वहीं, 2012 में 30 तक इतना पारा रहा था. इसके अलावा 2019 में 16, 2018 में 19, 2017 में 15 , 2014 में 15, 2015 में 18 दिन पारा काफी ज्यादा रहा था.
वहीं, कुछ रिपोर्ट में 2019 को सबसे गर्म साल माना जाता है. दरअसल, इस साल में राजस्थान के चुरू जैसे इलाकों में 50 से ज्यादा पारा पहुंच गया था. वहीं, राजस्थान के कई शहरों में लंबे समय तक पारा 45 डिग्री तक रहा था.