नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री शुक्ला ने वेब-लिंक का किया लोकार्पण

भोपाल

नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला ने ऊर्जा भवन भोपाल में प्रदेश में पम्प्ड हाइड्रो प्रोजेक्ट्स के क्रियान्वयन के लिये योजना के प्रावधान के अनुसार स्व-चिन्हित ऑफ-स्ट्रीम हाइड्रो प्रोजेक्ट्स को मोड-IV के अंतर्गत आवेदन करने के लिये वेब लिंक का लोकार्पण किया। मंत्री शुक्ला ने कहा कि इससे राज्य में ऑफ-स्ट्रीम हाइड्रो प्रोजेक्ट्स के क्षेत्र में अधिकाधिक निवेश संभव होगा।

योजना में प्रावधान के अनुसार पम्प हाइड्रो स्टोरेज प्रोजेक्ट को 4 मोड के अंतर्गत विकसित किया जा सकता है। मोड-I CPSUs, SPSUs और भारत सरकार या मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित प्राधिकरण को नामांकन के आधार पर पीएचएस साइट का आवंटन, मोड-II में तृतीय पक्ष या विद्युत विनिमय या कैप्टिव आवश्यकता को पूरा करने के लिये विकसित परियोजना, मोड-III में राज्य के भीतर और बाहर एमपीपीएमसीएल और अन्य सार्वजनिक संगठनों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये विकसित परियोजना, जिसमें परियोजना डेवलपर को टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से चुना जाता है और मोड-IV में स्व-चिन्हित ऑफ-स्ट्रीम पम्प्ड हाइड्रो परियोजना का आवंटन शामिल है।

स्व-चिन्हित ऑफ स्ट्रीम हाइड्रो प्रोजेक्ट्स को मोड-IV के अंतर्गत ऑनलाइन आवेदन आयुक्त कार्यालय नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग की वेबसाइट पर करना होगा। आवेदन के साथ परियोजना पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट एवं साइट की प्रारंभिक जानकारी, भूमि के आवंटन के लिये किये गये आवेदन की प्रति और गैर-खपत आधार पर पानी के आवंटन के लिये आवेदन की प्रति आवेदक को अपलोड करना आवश्यक होगा।

आयुक्त कार्यालय नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग को स्व-चिन्हित ऑफ-स्ट्रीम पम्प्ड हाइड्रो प्रोजेक्ट के आवेदन प्राप्त होने के बाद आवंटन के लिये प्राप्त परियोजना स्थल की जानकारी की सूचना समाचार-पत्र/वेबसाइट के माध्यम से साझा करना होगी। यदि 60 दिनों के भीतर अन्य किसी आवेदक द्वारा दावा नहीं प्राप्त नहीं होने पर उक्त साइट का विभाग द्वारा मूल आवेदक को साइट आवंटित कर दी जायेगी। ऐसे आवेदक को साइट आवंटित की जायेगी, जो योजना में दिये गये प्रावधानों की पूर्ति करता है। विभाग द्वारा परियोजना प्रगति का समय-समय पर आंकलन भी किया जायेगा। उचित प्रगति न होने पर साइट आवंटन को रद्द किये जाने का प्रावधान भी योजना में किया गया है। साइट आवंटन के बाद परियोजना विकासक को 7 वर्ष के अंदर पम्प्ड हाइड्रो परियोजना का विकास करना होगा।

 

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