रायपुर
आठ दिन पहले 63 वर्षीय बुजुर्ग जो राजिम के रहने वाले हैं एवं पेशे से शिक्षक हैं, स्कूल से घर आते समय दुर्घटना का शिकार हो गए। सिर एवं छाती में गहरी चोटें आयी थी एवं कुछ समय के लिये बेहोश रहे। उनको दुर्घटना के बाद तुंरत गरियाबंद अस्पताल ले गए। जहां पर प्राथमिक उपचार के बाद डीकेएस अस्पताल में शिफ्ट किया गया परन्तु लगातार ऑक्सीजन सैचुरेशन गिरने के कारण मरीज को तुंरत एसीआई के हार्ट चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग में शिफ्ट कर दिया गया। हार्ट सर्जरी विभाग में शिफ्ट करते ही मरीज को वेंटीलेटर पर डालना पड़ गया क्योंकि पसली के चकनाचूर होने के कारण फ्लेल चेस्ट बन गया था।
वेंटीलेटर के सपोर्ट के बाद भी मरीज का ऑक्सीजन सैचुरेशन ज्यादा अच्छा नहीं था। सर्जरी करने वाले डॉ. कृष्णकांत साहू ने बताया कि ऐसी स्थिति में मरीज को अत्यधिक हाई रिस्क में ऑपरेशन के लिए लेना पड़ता है।मरीज की दायें छाती की 7 से ज्यादा पसलियाँ जगह-जगह पर टूट गई थीं, जिससे कारण फ्लैल चेस्ट बन गया था एवं फेफड़े में गहरी चोट आयी थी। ऐसे मरीज के छाती में टाइटेनियम की कृत्रिम पसली बनाकर छाती को नया आकार दिया जाता है एवं इसमें 5 लम्बी टाइटेनियम की प्लेट का उपयोग किया गया। साथ ही साथ फेफड़े में आई चोट को भी रिपेंयर किया गया। यह बहुत की जटिल और हाई रिस्क आपरेशन होता है एवं बहुत गिने चुने संस्थानों में किया जाता है। इस ऑपरेशन में 4 यूनिट ब्लड लगा। मरीज की बेटी डीकेएस अस्पताल में नर्सिंग स्टॉफ है एवं यहां के स्टॉफ एवं डॉक्टरों के सेवाभाव और दक्षता से काफी खुश है।