मोकामा सीट पर फिर सियासी संग्राम: अपराध, वर्चस्व और पुरानी दुश्मनी की तिकड़ी!

पटना 
बिहार का मोकामा विधानसभा क्षेत्र सुर्खियों में हैं। यहां गुरुवार दोपहर जन सुराज और जेडीयू समर्थकों के बीच हुई हिंसक झड़प में 75 साल के दुलारचंद यादव की मौत हो गई। दुलारचंद अलग-अलग समय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और मोकामा के बाहुबली नेता अनंत सिंह तीनों के करीबी रह चुके थे। ताजा घटना उस समय हुई जब जन सुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी और जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह के काफिले तरतार गांव के बसावनचक मोड़ पर आमने-सामने आ गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पहले पथराव हुआ और फिर गोलियां चलीं। इस दौरान दुलारचंद को गोली लगी और बाद में उन्हें वाहन ने कुचल दिया। करीब एक दर्जन लोग घायल हुए।
 
चुनाव आयोग ने घटना पर रिपोर्ट तलब की है। पुलिस ने चार एफआईआर दर्ज की हैं। उनमें से एक अनंत सिंह के खिलाफ दुलारचंद के परिजनों ने दर्ज कराई है, जबकि दूसरी एफआईआर अनंत समर्थकों ने जन सुराज कार्यकर्ताओं पर कराई है।

मोकामा की राजनीति लंबे समय से अपराध, जाति और बाहुबल के संगम के लिए कुख्यात रही है। यह इलाका भूमिहार बाहुबलियों का गढ़ माना जाता है। दुलारचंद यादव इस क्षेत्र के कुछ गिने-चुने गैर-भूमिहार नेताओं में थे। उनके खिलाफ 1991 से लेकर 2010 तक 11 आपराधिक मामले दर्ज थे। उनमें हत्या, अपहरण, रंगदारी और अवैध हथियारों के मामले शामिल हैं। उनका नाम कांग्रेस कार्यकर्ता सीताराम सिंह की हत्या में आया था। उनके साथ आरोपी अनंत सिंह के भाई दिलीप सिंह और नीतीश कुमार भी थे। नीतीश और दुलारचंद को बाद में बरी कर दिया गया और जेडीयू सुप्रीमो और CM के खिलाफ केस को पटना हाई कोर्ट ने 2019 में खत्म कर दिया।

दूसरी ओर अनंत सिंह, जिन्हें ‘छोटे सरकार’ कहा जाता है, 2005 से अब तक इस सीट पर प्रभाव बनाए हुए हैं। उनके खिलाफ 50 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। 2019 में यूएपीए मामले में उन्हें 10 साल की सजा हुई थी, हालांकि 2024 में पटना हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया। 2015 में अनंत सिंह को किडनैपिंग और मर्डर के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। यह गिरफ्तारी पुलिस के एक बड़े छापे के बाद हुई थी जिसमें 500 पुलिसकर्मी और दंगा रोकने वाली गाड़ियां शामिल थीं। बताया गया कि वहां से हथियार, बुलेटप्रूफ जैकेट और खून से सने कपड़े बरामद हुए थे।

अब आरजेडी ने इस सीट से सुरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को उम्मीदवार बनाया है। सुरजभान भी भूमिहार समुदाय से हैं और उन पर भी 26 आपराधिक मामले दर्ज रहे हैं, हालांकि वे फिलहाल चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित हैं। माना जा रहा है कि दुलारचंद और अनंत सिंह के बीच तनाव तब बढ़ा जब दुलारचंद ने इस बार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का साथ दे दिया था।

 

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