प्रयागराज
महाकुंभ के अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि पर महादेव की कृपा ऐसी रही कि यात्रियों को आपात प्लान के कारण डायवर्जन का सामना नहीं करना पड़ा। रेलवे ने आपात प्लान हटा दिया, जिससे यात्रियों को सीधे रेलवे स्टेशन तक पहुंचने में कोई समस्या नहीं हुई। यात्री आश्रय स्थल के माध्यम से श्रद्धालुओं को प्लेटफार्म तक ले जाया गया।
रात आठ बजे तक रेलवे ने 272 ट्रेनों का संचालन किया था। जबकि रात 12 बजे तक लगभग 300 ट्रेनें चला दी गई। भीड़ को आश्रय स्थल पर रोकने की जगह उन्हें तेजी के साथ गंतव्य तक भेजने के लिए आन डिमांड ट्रेनों के संचालन की योजना कारगर रही। आश्रय स्थल में भीड़ नहीं जुटी तो स्टेशन मार्ग पर भी लगातार आवागमन सुचारू रहा।
कंट्रोल रूम से डीआरएम हिमांशु बड़ोनी लगातार सड़क व स्टेशन पर भीड़ का सजीव प्रसारण देखते रहे। उन्होंने हर रूट पर भीड़ प्रबंधन के लिए कार्ययोजना बनाई थी, जिसे क्रियान्वित किया गया। बुधवार रात आठ बजे तक रेलवे ने 141 विशेष ट्रेन और 131 दैनिक ट्रेनों का संचालन किया। शाम के बाद रेलवे स्टेशनों पर भीड़ का दबाव तो बढ़ा लेकिन लगातार ट्रेनों के संचालन से स्थिति सामान्य बनी रही।
श्रद्धालुओं को कतारबद्ध तरीके से आश्रय स्थल तक ले जाया जाता रहा। एक-एक लोग को सीट पर बैठाया जाता। सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी ने बताया कि बुधवार को रात आठ बजे तक प्रयागराज जंक्शन से 76, छिवकी से 13 ,नैनी से 15, सूबेदारगंज पांच, प्रयाग स्टेशन से नौ, रामबाग से छह और झूंसी से 17 विशेष ट्रेनों का संचालन किया गया।
रेलवे स्टेशनों पर लगातार होती रही उद्घोषणा
वहीं, दूसरी ओर सभी रेलवे स्टेशनों पर लगातार उद्घोषणा की जाती रही कि उन्हें किस दिशा और किस गंतव्य की ट्रेन कहां मिलेगी। इससे भीड़ सिर्फ प्रयागराज जंक्शन पर ही नहीं जुटी, बल्कि वह अलग-अलग स्टेशनों पर गई। इससे भीड़ प्रबंधन में आसानी रही। वहीं, दूसरी ओर यात्रियों के लिए खुसरोबाग आश्रय स्थल भी खोल दिया गया था। जिन यात्रियों को आराम करना था वह यहां जाकर बैठे और लेटे रहे। मंडल पीआरओ अमित सिंह ने बताया कि खुसरोबाग में यात्रियों की सुविधा व मनोरंजन के लिए टीवी स्क्रीन लगाया गया था। जिस पर रामायण धारावाहिक सभी को दिखाया गया।