राम मंदिर ध्वजारोहण: वनवासी संतों को विशेष आमंत्रण, अयोध्या से आएंगे 3,000 साधु-संत

अयोध्या
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया है कि मंगलवार, 25 नवंबर का दिन, अयोध्या में भगवान राम के विवाह का पारंपरिक पवित्र दिन है। इस दिन, राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण होगा। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत दोपहर में करीब 12 बजे होगी और फिर ध्वजारोहण किया जाएगा। कार्यक्रम दोपहर लगभग दो बजे संपन्न होगा।

कार्यक्रम में आने वाले मेहमानों को लेकर चंपत राय ने बताया कि इस बार सिर्फ पूर्वी उत्तर प्रदेश के बंधु-बांधवों को बुलाया गया है। कुल छह हजार लोग आमंत्रित किए गए हैं, जिनमें अयोध्या जनपद से ही तीन हजार लोगों की संख्या हैं। अयोध्या के सभी संत कार्यक्रम में आएंगे, जिनमें जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों के संत भी होंगे। अनुमान है कि लगभग एक हजार संत-महात्मा इस कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे। बाकी संपूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों को आमंत्रित किया गया है।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव ने बताया कि खासतौर पर वनवासी क्षेत्रों में रहने वाले संत समाज को बुलाया गया है। हमारी दृष्टि इस बार उस समाज पर है, जो सुदूर जंगलों, वनवासी क्षेत्रों, पर्वतों और समुद्र किनारे के गांवों में निवास करता है। उत्तर में समुद्र नहीं है, लेकिन गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियां हैं। उनके किनारे जीवन यापन करने वाले समाज में से लोगों का चयन किया गया है।

ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री समेत सभी प्रमुख व्यक्तियों के अयोध्या जिले से दोपहर लगभग 2 बजे या उससे थोड़ा पहले प्रस्थान करने की संभावना है। प्रशासन और हम सभी इस उत्सव के महत्व और इसके व्यस्त कार्यक्रम से अवगत हैं। इससे जनता को कोई असुविधा नहीं होगी। यह हमारी समारोह संबंधी तैयारियों का हिस्सा है।

 

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