भारत शर्मा
‘जय जगन्नाथ’ का नारा सुनकर आचानक स्वर्ग में राम नींद से जाग गए। पिछले कई सालों से चुनावी रैली हो, दंगा – फसाद हो, मॉब लिंचिंग हो या चुनावी रिजल्ट, जब तक वे जय श्री राम का नारा नहीं सुन लेते थे, तब तक उन्हें नींद नहीं आती थी। जिस देश में ‘भारत में यदि रहना है, तो यह श्री राम कहना है’ जैसे नारे लगते हों, वहां अचानक जय जगन्नाथ के नारे लगें, तो कोई भी चौंक जाएगा। दरअसल, लंबे और उबाऊ चुनाव अभियान के बाद राम को गहरी नींद आ गई थी, इसीलिए नए घटनाक्रम से वे अनभिज्ञ थे। अचानक नींद खुली, तो उन्हें लगा, कहीं रामजादे सत्ता से बाहर तो नहीं हो गए हों।
राम ने एक बार फिर हनुमान को बुला भेजा, पर सामने नजर आए लक्ष्मण।
राम ने सवाल किया- भ्राता, ये अचानक जय जगन्नाथ के नारे क्यों लग रहे हैं, लगाने वाले की आवाज भी कुछ जानी पहचानी लग रही है।
लक्ष्मण ने कहा, महाराज नारे लगाने वाले वही हैं, जो हर चुनावी रैली की शुरुआत ‘जय श्री राम’ के नारे से करते थे। अब उन्होंने देवता बदल दिया है।
राम का अगला सवाल था-ऐसा क्यों।
लक्ष्मण की जबाव था- सब चुनावी चक्कर है। इस बार उड़ीसा में ज्यादा सीटें मिल गईं और अयोध्या हार गए। उड़ीसा की समाजवादी जनता हिंदू बन गई और अयोध्या की राम भक्त जनता समाजवादी। लक्ष्मण ने आगे जोड़ते हुए बताया, सिर्फ अयोध्या ही नहीं, चित्रकूट भी हार गए, जहां तुलसीदास जी ने चंदन घिसा था।
राम ने कहा- मैंने सुना था, कि बीच चुनाव में भगवान जगन्नाथ का भी अपमान किया था किसी नेता ने।
लक्ष्मण ने बताया- हां, भगवा दल वालों ने भगवान जगन्नाथ को महामानव का भक्त बताया था और जनता ने इसे सच मान लिया, इसीलिए पुरी में कॉरिडोर बनाने वाले समाजवादियों का साथ छोड़कर जनता भगवान जगन्नाथ के आराध्य के साथ चली गई। इस तरह भगवान जगन्नाथ पहली बार चुनावी मैदान में उतरे हैं।
ठीक है, पर अयोध्या का क्या हुआ- राम का अगला सवाल था।
सब रंग का खेल है प्रभु, आपने स्वर्ग आते समय हनुमान जी को अयोध्या का राजा घोषित किया था। अब वे पहनते हैं, लाल लंगोट, इधर समाजवादियों के झंडे में भी लाल रंग होता है। इसीलिए अयोध्यावादी मतिभ्रम का शिकार हो गए। लक्ष्मण ने आगे जोड़ते हुए कहा, प्रभु, फैजाबाद में लाल झंडे वाले पहले भी चुनाव जीतते रहे हैं।
राम ने बनावटी नाराजगी दिखाते हुए कहा, कुछ छिपा तो नहीं रहे हो, मुझसे। कोई कह रहा था, राम पर रोटी भारी पड़ गई।
लक्ष्मण ने नम्रता से कहा, ऐसा नहीं है प्रभु। यह देश अभी भी धर्म की लड़ाई ही लड़ रहा है, लड़ाई रोटी की होती, तो आंदोलन रोटी, रोजगार के लिए होता, मंदिरों के लिए नहीं।
राम लक्ष्मण की बातों से संतुष्ट नहीं हुए, उन्होंने कहा, हनुमान को बुला लाओ।
लक्ष्मण ने कहा, महाराज यह नहीं हो सकता। उनके हाथ में प्लास्टर चढ़ा हुआ है।
राम ने चिंतित होकर पूछा-क्या हुआ।
लक्ष्मण ने बताया, प्रभु, अयोध्या के राम मंदिर में हनुमान जी की जो मूर्ति लगाई गई थी, वह कच्चे पत्थर की थी, उसका हाथ टूट गया है।
लक्ष्मण की बात सुनकर राम हनुमान के लिए चिंतित हुए और अयोध्या वासियों के आभारी। पिछले 40 साल से हर चुनाव में जुत रहे थे, अयोध्यावासियों ने उनकी जान बचा ली। राम से ज्यादा खुश तो मथुरा और काशी वाले थे, अयोध्या वालों ने उनकी भी जान बचा ली।