आरबीआई ने रेपो रेट में की कटौती, 0.25 फीसदी घटाया गया, वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ 6.5% रहने का अनुमान

नई दिल्ली
आरबीआई ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर दी है। लगातार दूसरी बार रेपो रेट में कटौती की गई है। इससे पहले फरवरी में भी रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती की गई थी। यह करीब पांच साल में रेपो रेट में पहली कटौती थी। आज की कटौती के साथ अब रेपो रेट 6 फीसदी हो गया है। रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई बैंकों को लोन देता है। इसके कम होने से आपके होम लोन, पर्सनल लोन और कार लोन की किस्त कम होती है।आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में रेपो रेट में कटौती का फैसला लिया गया। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी। आरबीआई की एमपीसी की नए फाइनेंशियल ईयर में यह पहली बैठक थी।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि एमपीसी ने सर्वसम्मति से रेपो रेट में कटौती के पक्ष में वोट दिया। उन्होंने कहा कि नया वित्त वर्ष काफी उथलपुथल के साथ शुरू हुआ है। ट्रेड के मामले में कुछ आशंकाएं सही साबित हो रही हैं और ग्लोबल कम्युनिटी परेशान है। भारतीय अर्थव्यवस्था ने कीमतों में स्थिरता और नियमित विकास के मामले में अच्छी प्रगति की है। दुनिया में इकनॉमिक आउटलुक तेजी से बदल रहा है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की शुरुआत अमेरिकी शुल्क के साथ वैश्विक अनिश्चितता के साथ हुई है लेकिन आरबीआई स्थिति पर नजर रखे हुए है। भारतीय अर्थव्यवस्था लक्ष्यों के अनुरूप आगे बढ़ रही है और आर्थिक वृद्धि में सुधार जारी है। उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत रुख को तटस्थ से बदलकर उदार करने का फैसला किया है।

महंगाई में कमी

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि रियल जीडीपी ग्रोथ के इस फाइनेंशियल ईयर में 6.5% रहने का अनुमान है। पहले इसके 6.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था। पहली तिमाही में इसके 6.5%, दूसरी तिमाही में 6.7%, तीसरी तिमाही में 6.6% और चौथी तिमाही में 6.3% रहने का अनुमान है। फाइनेंशियल ईयर 2026 में महंगाई दर 4 फीसदी रहने का अनुमान है जो फरवरी के 4.2 फीसदी अनुमान से कम है। पहली तिमाही में महंगाई की दर 3.6%, दूसरी तिमाही में 3.9%, तीसरी तिमाही में 3.8% और चौथी तिमाही में 4.4% रहने का अनुमान है।

उन्होंने कहा कि हमारा रुख नकदी प्रबंधन पर किसी मार्गदर्शन के बिना नीति दर मार्गदर्शन प्रदान करता है। वैश्विक निश्चितताओं से मुद्रा पर और दबाव पड़ सकता है। वैश्विक आर्थिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है, नवीनतम व्यापार संबंधी उपायों से अनिश्चितताएं और बढ़ गई हैं जिससे विभिन्न क्षेत्रों में परिदृश्य धुंधला गया है।

महंगाई में कमी का असर

माना जा रहा था कि आरबीआई रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती कर सकता है। अधिकांश अर्थशास्त्रियों ने इसका अनुमान जताया था। उनका कहना था कि देश में महंगाई कम हो रही है, इसलिए आरबीआई रेपो रेट में कटौती कर सकता है। भारत की खुदरा महंगाई की दर फरवरी में 3.61% तक गिर गई थी। यह जनवरी में 4.26% थी। यह सात महीनों में पहली बार RBI के 4% के लक्ष्य से नीचे आई। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मार्च में भी महंगाई RBI के अनुमान से कम रहेगी।

क्या होता है रेपो रेट?

रेपो रेट के जरिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया वाणिज्यिक बैंकों को शॉर्ट टर्म लोन प्रदान करती है। ये एक तरह से बैंकों के लिए लोन ब्याज दर की तरह काम करता है। ये लोन एक समय सीमा के लिए निर्धारित किया जाता है। हालांकि अगर बैंक लंबे समय के लिए लोन लेना चाहे तो उन्हें बैंक रेट के आधार पर आरबीआई लोन ऑफर करती है।

कैसे पड़ेगा आप पर प्रभाव?

रेपो रेट में बढ़ोतरी का असर- अगर रेपो रेट में बढ़ोतरी आती है, तो इसका मतलब है कि बैंकों को लोन महंगा पड़ने वाला है, जिसका इनडायरेक्ट असर आपके लोन के ब्याज और ईएमआई पर देखने को मिलता है।

रेपो रेट में कटौती का असर- अगर आरबीाई द्वारा रेपो रेट में कटौती की जाती है। तो इससे बैंकों को लोन सस्ता पड़ता है। वहीं लोग भी कम ब्याज दर पर लोन ले पाते हैं।

इस तरह से रेपो रेट फिक्सड डिपॉजिट के फ्लोटिंग और फिक्सड रेट पर भी इनडायरेक्ट असर डाल सकता है।

आरबीआई ने क्यों घटाया रेपो दर?

हमारे देश की केंद्रीय बैंक रेपो रेट में कटौती और बढ़ोतरी कर अर्थव्यवस्था में मनी सप्लाई पर नियंत्रित करने की कोशिश करती है। रेपो रेट में कटौती और बढ़ोतरी का फैसला कई तरह के महत्वपूर्ण तथ्यों को देखकर लिया जाता है। इनमें से एक महंगाई भी है।

रेपो रेट की खबर ने दी राहत

इससे पहले 7 अप्रैल को पेट्रोल-डीजल के उत्पाद शुल्क बढ़ाना, एलपीजी गैस के दामों में इजाफा होने की खबर से लोगों को बड़े झटके मिले हैं। इस बीच आरबीआई का ये फैसला राहत दे सकता है

हालांकि बढ़ते उत्पाद शुल्क का असर पेट्रोल डीजल के दामों में देखने को नहीं मिला है। आज भी इनमें दाम स्थिर है।

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