जब एकता सबसे बड़ी जरूरत, उस वक़्त नफरती मुहिम चलाना शर्मनाक हरकत

अनेक संगठनों ने साझा अभियान चलाने का संकल्प लिया

भोपाल

भोपाल के नागरिकों तथा जनता के विभिन्न समुदायों के  बीच काम कर रहे अनेक संगठनों तथा व्यक्तियों ने एक बैठक कर कतिपय विघ्न संतोषी संगठनों द्वारा तेज  किये गए उन्मादी अभियान, अफवाहों और लोगों के बीच आपसी निजी रिश्तों को भी विभाजन का मुद्दा बनाकर नफ़रत फैलाने के कामों पर चिंता व्यक्त की है । यह अत्यंत घृणित बात है कि ये तत्व देश पर आतंकी हमले के समय भी इस तरह की हरकतों से  बाज नहीं आ रहे हैं । पहलगाम के कायराना आतंकी हमले के बाद सारे दलों और इस तरह पूरे देश ने जिस एकजुटता को दिखाया है उसके विपरीत ये नफरती संगठन आतंकी हमले में मारे गए भारत के नागरिकों की पत्नी और परिवारों को भी अपनी नफरती राजनीति का निशाना बनाए हुए हैं ।

आजाद भारत ही नहीं भारत के पूरे इतिहास में इतने निम्न स्तर की राजनीति पहले कभी नहीं देखी गयी । खेद की बात है कि सत्ता में बैठी पार्टी और विचार समूह के दबाव में आकर प्रशासन इस तरह की हरकतों को संरक्षण प्रदान कर रहा है ।

बैठक ने चिंता जताई कि असली सूचनाओं और तथ्यों को जनता में पहुंचने से रोकने के कुत्सित इरादे से  अखबारों, स्वतंत्र मीडिया, यूट्यूब चैनल तथा सोशल मीडिया को निशाना बनाया जा रहा है । सोशल मीडिया इन्फ़्लुएन्सर्स और कई साइट्स को अलोकतांत्रिक तरीके से बंद किया जाना, उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज किये जाना, कई की गिरफ्तारी आदि  इसी के उदाहरण हैं ।  अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर यह हमले सत्ता में बैठे लोग अपनी असफलताओं को छुपाने के लिए तथा अपने ही देश की जनता के बीच  विभाजन पैदा करने के अपवित्र इरादों से किये जा रहे हैं ।

मौजूदा  हालात में जरूरी हस्तक्षेप के लिए व्यापकतम संभव एकजुटता बनाने और उसके आधार पर कार्यवाहियों का निर्धारण करने के लिए हुई इस  बैठक ने तय किया कि सत्ता पार्टी और सरकारी मशीनरी के संरक्षण में साम्प्रदायिक उन्माद भड़काने की योजनाबद्द कोशिशों, इनके पीछे छुपे संविधान खत्म कर मनुवादी सामाजिक प्रणाली की बहाली के मंसूबों, जनता की अगातार बढती तकलीफों आदि को जोड़कर छोटे छोटे समूहों में जनता के साथ संवाद किया जाए और धीरज के साथ तथ्यों, तर्कों के जरिये उनके अन्दर बैठाए जा रहे नैरेटिव को तोड़ा जाए । यह काम विकेन्द्रीकृत तरीके से हो । सभी संगठन अपने अपने कार्यक्षेत्र, प्रभाव क्षेत्र, बस्तियों, मोहल्लो, टाउनशिप, कॉलोनी, गाँवों, कारखानों, दफ्तरों में जहां उनकी सक्रियता और मौजूदगी है वहां यह काम करें ।  जहां एक दूसरे की मदद की आवश्यकता हो वहां आपस में समन्वय करें ।

जून में एक राज्य स्तरीय कन्वेंशन कर इस अभियान को और आगे बढाया जाएगा । इसमें बाकी सभी छोटे बड़े सामाजिक, सांस्कृतिक, सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध संगठनों के साथ धर्मंनिरपेक्षता, लोकतंत्र और संविधान में विश्वास करने वाले सभी  राजनीतिक दलों को भी जोड़ा जाएगा ।  

बैठक ने इस बात की जरूरत महसूस की कि साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए प्रायोजित और झूठी खबरों की असलियत उजागर करने का काम भी किया जाना चाहिए । इसके लिए सर्वे कर तथ्यात्मक जानकारी जुटाना और एंटी फेक न्यूज़ फोरम जैसा तंत्र विकसित करने के ठोस सुझाव आये  ।  अनावश्यक रूप से पुलिस कार्यवाही का शिकार बने नागरिकों, आदिवासी, दलित तथा महिलाओं को कानूनी मदद देने के लिए सहायता समूह भी बनाए जायेंगे ।  

वरिष्ठ समाजसेवी राजेन्द्र कोठारी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में आयोजकों की ओर से  बादल सरोज ने आंकलन और सुझाव रखे ।

इस बैठक में सुझाव और विचार रखने वालों में पूर्व मुख्य सचिव शरद चन्द्र बेहार, कवि साहित्यकार राजेश जोशी, रामप्रकाश त्रिपाठी,   सम्पादक आरती,  शैलेन्द्र कुमार शैली, प्रमोद प्रधान, आशा मिश्रा, नीना शर्मा, वीरेंद्र जैन, योगेश दीवान, डॉ (मेजर)  मनोज राजे, सुनील बोरसे, डॉ अली अब्बास उम्मीद, शिवकुमार  अवस्थी, रनसिंह परमार, आनंद जाट, साहित्यकार संतोष कुमार द्विवेदी, पत्रकार काशिफ काकवी, वरिष्ठ पत्रकार सम्पादक भारत शर्मा, पूषण भट्टाचार्य, मनोज कुलकर्णी, एस आर आजाद, बालेन्दु परसाई, रवीश, इनायत अब्बास,राजेश, मोहसिन अली खान, यमुना सन्नी, अरुणा जी , अश्विनी, फादर आनंद मुटुंगल,  अनीस, अनिल गुप्ता, शिव शंकर मौर्या, डॉ राहुल शर्मा, ओ पी डोंगरीवाल सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता, साहित्य, संस्कृति, श्रमिक, किसान, महिला आंदोलनों के प्रमुख लोग शामिल थे ।

आयोजकों में से एक वरिष्ठ पत्रकार लज्जाशंकर हरदेनिया स्वास्थ्य संबंधी असुविधाओं तथा वरिष्ठ पत्रकार राकेश दीवान आवश्यक निजी व्यस्तताओं के चलते इस बैठक में उपस्थित नहीं हो सके किन्तु सभी निर्णयों के साथ उन्होंने सहमति व्यक्त की है ।

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