बिहार के 20 जिलों में ग्रामीण सड़कों-पुलों के निर्माण के लिए 367 करोड़ 94 लाख रुपये की योजनाओं को मिली हरी झंडी

पटना
पश्चिम चंपारण, बांका, पटना सहित बिहार के 20 जिलों में ग्रामीण सड़कों-पुलों के निर्माण के लिए 367 करोड़ 94 लाख रुपये की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) को केंद्र सरकार ने स्वीकृति दे दी है। इससे पांच ग्रामीण सड़काें (33.65 किमी) और 103 पुलों (3891.71 मीटर) का निर्माण होगा।

बुधवार को उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि कुल परियोजना लागत में बिहार सरकार 153 करोड़ 94 लाख रुपये खर्च करेगी। शेष राशि केंद्र से मिलेगी। उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार प्रकट किया है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत अररिया, अरवल, औरंगाबाद, बांका, बेगूसराय, भोजपुर, सारण, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, गोपालगंज, कटिहार, खगड़िया, किशनगंज, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पटना, समस्तीपुर, शिवहर, सीतामढ़ी, वैशाली में ग्रामीण पथों और पुलों के निर्माण के लिए डीपीआर को स्वीकृति मिली है। पश्चिम चंपारण जिला के रामनगर प्रखंड में नारा नदी पुल से खतौनी रोड तक 268.32 मीटर लंबे आरसीसी पुल के निर्माण हेतु 23 करोड़ 60 लाख 79 हजार रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है।

बिहार के विकास को कई योजनाएं देंगे प्रधानमंत्री : श्रवण कुमार
दूसरी ओर, प्रदेश जदयू कार्यालय में बुधवार को आयोजित जनसुनवाई कार्यक्रम में ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, भवन निर्माण मंत्री जयंत राज एवं शिक्षा मंत्री सुनील कुमार शामिल हुए। इन मंत्रियों ने विभिन्न जिलों से आए आम नागरिकों की समस्याओं को सुना और उनके शीघ्र समाधान हेतु संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिया।

इस मौके पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब भी बिहार आते हैं, विकास की एक नई सौगात लेकर आते हैं। इस बार भी बिहार के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं देंगे। श्रवण कुमार ने आगे कहा कि नरेन्द्र मोदी-नीतीश कुमार की जोड़ी पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ बिहार के विकास को गति दे रही है।

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना का लिया गया ऐतिहासिक निर्णय सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है, जिससे शोषित, वंचित और पिछड़े वर्गों को वास्तविक लाभ मिलेगा। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि राजद और अन्य विपक्षी दल आरक्षण के मुद्दे पर केवल राजनीतिक ड्रामा कर रहे हैं, जबकि केंद्र और बिहार सरकार जमीनी पर सच्चाई में काम कर रही हैं।

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