अब तक 13 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके, नासा ने ISS से ली गई खूबसूरत तस्वीर साझा की

प्रयागराज
प्रयागराज में भव्य महाकुंभ का आयोजन चल रहा है। देश-दुनिया से तमाम साधु और संत और कल्पवासी संगम किनारे पहुंच चुके हैं। अब तक 13 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं। महाकुंभ का नजारा देखते ही बन रहा है। इसी बीच नासा (नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) अंतरिक्ष यात्री डॉन पेटिट ने ISS से ली गई खूबसूरत तस्वीर साझा की है। पेटिट ISS से ली गई अनोखी तस्वीर में प्रकाश से भरी संगमनगरी नजर आ रही है। डॉन पेटिट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से पृथ्वी के अलग-अलग हिस्से की ली जाने वाली रोचक तस्वीरें अपने एकाउंट पर साझा करते रहते हैं।

बताया जाता कि पेटिट 69 साल की उम्र में NASA के सबसे उम्रदराज सक्रिय अंतरिक्ष यात्री हैं।इन तस्वीरों में महाकुंभ मेले का अद्भुत नजारा देखने को मिला। इसमें गंगा नदी के तट पर रोशनी से जगमगाता दुनिया का सबसे बड़ा मानव समागम दिखाया गया है। तस्वीरों में महाकुंभ मेले की भव्य लाइटिंग और भारी भीड़ ने गंगा नदी के किनारों को एक अनोखे दृश्य में बदल दिया। अंतरिक्ष से ली गई ये तस्वीरें धरती पर इस धार्मिक आयोजन की विशालता को दर्शा रही हैं।

आपको बता दें कि प्रयागराज महाकुंभ में गणतंत्र दिवस रविवार को 1.74 करोड़ लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। महाकुंभ में संगम में स्नान करने वालों की संख्या अब 13.21 करोड़ से अधिक हो गई है। 10 लाख लोगों ने कल्पवास किया है। शनिवार तक महाकुंभ में स्नान करने वालों की संख्या 11.47 करोड़ से अधिक थी। 12 साल में आयोजित होने वाला यह धार्मिक महायोजना 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक 45 दिन चलेगा।

ड्रो शो में श्रद्धालुओं ने देखा था आसमान में अद्भुत नजारा
इससे पहले शुक्रवार को संगम की रेती पर आने वाले श्रद्धालुओं को आसमान में अद्भुत नजारा दिखाई दिया था। सेक्टर सात में शाम के वक्त जैसे ही ड्रोन शो शुरू हुआ, चारों ओर भीड़ जुट गई। उत्साहित युवाओं को नियंत्रित कर मनोहारी दृश्य शो के जरिए दिखाए गए। जिसे देखकर श्रद्धालुओं की आंखें चकाचौंध हो गईं। यह शो पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित किया गया जिसे मेरठ के पुष्पक गुप्ता की कंपनी ने किया। लगभग 12 मिनट के शो में 2500 ड्रोन के जरिए सबसे पहले सागर मंथन के दृश्य को दिखाया गया, जिसमें देवता और दानव दोनों को एक साथ लिया गया। इसके बाद सागर मंथन शुरू हुआ और एक-एक कर 14 रत्न निकले। विष निकला तो नीलकंठ भगवान शिव ने पी लिया। इसके बाद अमृत निकला। जिसे भगवान विष्णु ने देवताओं को पान कराया। इस कलश से अमृत की बूंदें कैसे धरती पर गिरीं और कैसे वहां पर महाकुम्भ और कुम्भ मेले शुरू हुए इसे बहुत ही खूबसूरती के साथ दिखाया गया

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