भाजपा का कार्यकर्ता महाकुंभ
भारत शर्मा
भोपाल। पीएम मोदी के भाषण के दो हिस्से थे, एक कांग्रेस की आलोचना, दूसरा महिला आरक्षण बिल के माध्यम से अपनी वाहवाही, जबकि यह बिल सर्वसम्मति से पास हुआ है। खास बात यह है, कि श्री मोदी ये भाषण जिस मंच से दे रहे थे, उस पर उद्घोषिका को छोड़कर कोई भी महिला नहीं थी। यहां तक कि दिग्विजय सरकार को हराकर भाजपा को पूर्ण बहुमत की सरकार तक पहुंचाने वाली पूर्व सीएम उमा भारती इस आयोजन में नजर नहीं आईं, जबकि तमाम दूसरी पंक्ति के नेता मंच पर बैठे थे। यही स्थिति भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की भी थी। वे भी मंच पर नजर नहीं आईं। मंच पर कुछ महिला नेत्रियों ने नरेन्द्र मोदी का महिला आरक्षण को लेकर स्वागत भी किया था, दोनों महिला नेत्रियां उस वक्त भी मंच पर नजर नहीं आईं। सनातन के अपमान पर राजनीति करने वाली भाजपा द्वारा इन दोनों भगवाधारी साध्वियों का अपमान चर्चा का विषय बना हुआ है।
नरेन्द्र मोदी के भाषण में देखा जाए, तो उन्होंने अपनी योजनाओं को सिर्फ महिलाओं तक सीमित रखा, हालांकि उन्होंने शिवराज सरकार द्वारा चलाई जा रही लाड़ली बहना योजना का कोई जिक्र नहीं किया। पीएम मोदी ने महिलाओं को यह बताने की कोशिश की, कि विपक्ष ने महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन मजबूरी में किया है और अगर वह सत्ता में आती है, तो अगले सत्र में इसे लागू करने से रोका जा सकता है। उन्होंने कहा, मोदी ने आपको जो गारंटी दी थी, वो पूरी हो गई है। लोकसभा-राज्यसभा में 33% सीट आरक्षित करने का कानून नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित हुआ। दशकों से देश की माताएं-बहनें इसका इंतजार कर रही थीं। यह तक कहा जाने लगा था कि शायद यह कभी नहीं हो पाएगा। मोदी है तो हर गारंटी पूरी होने की गारंटी है।
कांग्रेस और उसके नए घमंडिया गठबंधन ने मजबूरी में इस बिल का समर्थन बहुत खट्टे मन से किया। यह खट्टापन उनके बहानों में दिखता है। इनके गठबंधन में जितने लोग हैं, वही लोग हैं, जिन्होंने 30 साल तक इस कानून को पारित नहीं होने दिया। पार्लियामेंट में हुड़दंग किया, बिल फाड़ दिए, स्पीकर पर हमले बोल दिए। इनको नारी शक्ति वंदन अधिनियम का मजबूरी में समर्थन इसलिए करना पड़ा, क्योंकि मेरी माताएं-बहनें जाग गई हैं। उन्होंने अपनी शक्ति का परिचय करवा दिया है। ये माताओं-बहनों से डरे हुए हैं। इसलिए सिर नीचा कर हाउस में बेमन से अंगुली दबा दी।
मोदी ने कहा, इन्होंने तो दशकों तक देश में भारी बहुमत से सरकारें चलाई हैं। तब क्यों नहीं कानून बनाया? अब जब उनको यह लगता है कि देश की माताएं – बहनें उनके चरित्र को जान गई हैं, तो क्या शुरू किया- ये क्यों नहीं है, वो क्यों नहीं है, ऐसा क्यों है, वैसा क्यों नहीं? जो बहाने ये आज बना रहे हैं, तब क्यों नहीं ये सब कुछ कर दिया। सच यह है कि इनकी नीयत में खोट है। पीएम मोदी ने कहा, मेरी माताएं-बहनों, मेरे शब्द याद रखना। मौका मिलते ही घमंडिया गठबंधन के लोग माताओं – बहनों को धोखा देना का तय करके बैठे हैं, तैयार बैठे हैं। कांग्रेस के घमंडिया साथी वही हैं, जिन्होंने इस कानून को रोकने के लिए हर मर्यादा तोड़ी है। इनकी यह सोच आज भी नहीं बदली है। ये लोग बहुत बौखलाए हुए हैं।
यह अब एक नया खेल खेलेंगे। पक्का मानिए। यह नारी शक्ति को बांटने की पूरी कोशिश करेंगे। नारी शक्ति एक न हो, इसलिए अफवाहें फैलाएंगे। देश की हर माता, बहन, बेटी को सावधान, सतर्क और एकजुट रहना होगा। ये वही लोग हैं, जिन्होंने द्रौपदी मुर्मू को देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनने से रोकने का भरसक प्रयास किया।
ये वही लोग हैं, जिन्होंने देश की सेनाओं के अग्रिम मोर्चों में बेटियों की एंट्री को रोक कर रखा था। अगर इनकी नीयत ठीक होती तो वे क्या मोदी को करोड़ों बहनों के नाम पक्के घर करने देते। आज आजादी के इतने साल बाद यह काम मुझे करना पड़ रहा है। इनको नहीं दिखता था कि सब कुछ पुरुष के नाम पर है। महिलाओं के नाम पर कुछ नहीं।